यूं तो हमारे सिर की की खेती
को सूखे हुए एक अर्सा बीत चुका है लेकिन इस सिर रूपी खेत का दस प्रतिशत भाग अभी भी
बहुत उपजाऊ है.
हर बार केश-कर्तन के एक-डेड़
महीने बाद ही हमारी श्रीमती जी को हमको साक्षात देख कर और हमारी बेटियों को वीडियो
चैट के दौरान हमको देख कर, हमारे सिर के उपजाऊ भाग में
अनियंत्रित बालों की अंधाधुंध फ़सल न जाने क्यों जामवंत की याद दिलाने लगती है.
9 जून, 2024 की सुबह डाइनिंग टेबल पर चाय-नाश्ता करते वक़्त वीडियो
कॉन्फ़्रेंसिंग के ज़रिए हम पति-पत्नी की अपनी दोनों बेटियों से बात हो रही थी.
अपने मोबाइल फ़ोन पर हमारे कान के आसपास बालों के घने जंगल को दिखाते हुए हमारी श्रीमती जी ने अपनी दोनों बेटियों से एक साथ एक सवाल किया –
‘तुम्हारे पापा क्या फिर से जामवंत नहीं लग रहे हैं?’
दोनों बेटियों ने अपनी माँ के सवाल का जवाब देने के बजाय हम पर एक साथ एक फ़रमान जारी कर दिया –
‘पापा, फ़ौरन जा कर अपने बाल कटाइए !’
घरेलू लोकतंत्र में बहुमत का
निर्णय तो सबको स्वीकार करना ही पड़ता है. मजबूरन हमको अपने पड़ौस के एक सैलून में
जाना पड़ा.
बीस-पच्चीस मिनट तक पुरानी
फ़िल्मी पत्रिकाओं को उलटने-पुलटने के बाद
हमारा नंबर आया.
हमारा हेयर-ड्रेसर शाहरुख
खान के जैसे हेयर-स्टाइल वाला एक हीरो टाइप नौजवान था.
उस हीरो ने बड़े प्यार से हमको एक ऊंची सी एडजस्बिल कुर्सी पर बिठाया फिर उसने अपना परिचय देते हुए हमसे बड़े प्यार से पूछा –
‘अंकल जी, नाचीज़ को इक़बाल हुसेन कहते हैं. हेयर कट और शेव के अलावा आपकी और क्या-क्या ख़िदमत करूं?’
हमने उस हीरो के अरमानों पर पानी फेरते हुए कहा –
‘बरख़ुर्दार इक़बाल हुसेन ! कोई शेव नहीं, कोई और ख़िदमत भी नहीं! हमको तो बस अपने बाल कटवाने हैं. शेव तो हम घर जा कर ख़ुद ही कर लेंगे.’
इक़बाल हुसेन ! तुम एम० एफ़०
हुसेन जैसे किसी पेंटर के रेट पर बाल डाई करते हो क्या?’
इक़बाल हुसेन के पास तो ऑफ़र्स का पुलिंदा था. इस बार उन्होंने एक और दिलकश ऑफ़र दिया –
‘अंकल जी, चम्पी तेलमालिश करवा लीजिए. आपको वो गाना तो याद ही होगा –
सर जो तेरा चकराए या दिल
डूबा जाए - - -
जॉनी वॉकर से अच्छी चम्पी
तेल मालिश न करूं तो आप एक पैसा भी मत दीजिएगा.’
अंकल जी ने भतीजे जी को फिर मायूस करते हुए कहा –
‘दोस्त, हम तो जॉनी वॉकर से ही अपनी चम्पी तेल मालिश करवाते थे. उनके जन्नत नशीन होने के बाद से हमने चम्पी तेल मालिश करवाना ही छोड़ दिया है.’
अपनी आख़िरी कोशिश करते हुए इक़बाल हुसेन ने फिर हमको लुभाया –
‘अंकल जी, आपके गालों पर तो झुर्रियां पड़ गयी हैं. मैं इन पर ऐसा लोशन लगा दूंगा कि आपके गाल महामहिम के गालों की तरह ग्लो करने लगेंगे.’
हमने इक़बाल हुसेन को याद दिलाया –
बरख़ुर्दार ! आज शाम को हम नहीं बल्कि महामहिम शपथ-ग्रहण के लिए जाएँगे.
तुम एक काम करो. हमारी
हेयर-कटिंग कर के तुम सीधे दिल्ली के लिए रवाना हो जाना. दिल्ली में तुम महामहिम को
अपनी तमाम सेवाएँ देना. वो खुश हो कर तुम्हें कोई बड़ी जागीर या ओहदा नहीं भी
दिलवाएंगे तो कम से कम पद्म श्री तो ज़रूर ही दिलवा देंगे.’
अपने तरकश के सारे तीर ख़त्म होने के बाद जनाब इक़बाल हुसेन न जाने क्यों अपनी शहद सी मिठास सा बोलने का अंदाज़ भूल गए. उन्होंने बड़ी रुखाई से हमसे कहा –
‘अंकल जी, आपके इतने कम बाल हैं कि इनको छोटा करने में एक-एक बाल पर अलग-अलग कैंची चलानी पड़ेगी. आप कहें तो आपके सिर पर ज़ीरो नंबर वाली मशीन चला दूं?’
हमारे सिर पर अपनी ज़ीरो नंबर की मशीन चला कर कुल जमा तीन मिनट खर्च कर के इक़बाल हुसेन ने हमारी केश-सज्जा कर दी.
हम जब सैलून से लौट कर अपने
घर जा रहे थे तो हमको जनाब इक़बाल हुसेन अपनी मोटर साइकिल पर बिजली की स्पीड से
जाते हुए दिखाई दिए.
हमारे ख़याल से वो हमारी सलाह
मान कर शपथ-ग्रहण से पहले किसी का चेहरा चमकाने के लिए नई दिल्ली के लिए रवाना हो
चुके थे.
(पुनश्च: 9 जून की शाम को हम पति-पत्नी टीवी पर शपथ-ग्रहण समारोह देख रहे थे.
शपथ-ग्रहण करते समय हमारे
महामहिम एलईडी बल्ब की भांति दमक रहे थे. उनकी दाढ़ी की और उनके बालों की सेटिंग
देख कर तो बड़े-बड़े हीरोज़ भी जल-भुन के खाक़ हो गए होंगे.
महामहिम के नूरानी चेहरे को
देख कर हमको इक़बाल हुसेन की और उनके दावों की याद आ गयी.
अचानक हमारी नज़र शपथ-ग्रहण
देखने आए हुए सम्मानित मेहमानों पर पड़ गयी. इन सम्मानित मेहमानों की पांचवी क़तार
की दाईं ओर की कोने वाली कुर्सी पर जनाब इक़बाल हुसेन बिराजे हुए थे.
हमने सैलून वाला किस्सा सुना
कर अपनी श्रीमती जी को इक़बाल हुसेन के दर्शन कराए तो उन्हें हमारी बात पर विश्वास
नहीं हुआ.
आप सभी पाठकों से हमारा
विनम्र अनुरोध है कि आप लोग शपथ-ग्रहण की क्लिप बार-बार देखें और कुर्सियों पर
बिराजे मेहमानों की पांचवीं क़तार के दाएं कोने में बैठे हुए शाहरुख़ खान के हेयर
स्टाइल वाले शख्स पर गौर करें. अगर वह शख्स आपको भी हमारी ही तरह इक़बाल हुसेन लगे
तो आप लोग कृपा कर के हमारे घर पधार कर हमारी श्रीमती जी को कन्विंस करें कि इक़बाल
हुसेन के बारे में उनके पतिदेव फेंक नहीं रहे हैं बल्कि सोलहो आने सच कह रहे हैं.)
वाह ! इक़बाल हुसैन तो छुपे रुस्तम निकले
जवाब देंहटाएंअनिता जी, स्वघोषित रुस्तम की भव्य सज्जा करने वाला तो कोई छुपा रुस्तम ही हो सकता है.
हटाएंगजब
जवाब देंहटाएं'गज़ब' के लिए शुक्रिया दोस्त !
हटाएंबढ़िया कहा सर
जवाब देंहटाएंसादर नमस्कार।
शुभाशीष अनीता.
हटाएंमेरी व्यंग्य रचना की प्रशंसा के लिए धन्यवाद.
बहुत बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंमेरी व्यंग्य रचना की प्रशंसा के लिए धन्यवाद मित्र.
हटाएंअरे वाह !!!
जवाब देंहटाएंबहुत ही मजेदार प्रसंग !
लाजवाब ।
तारीफ़ के लिए शुक्रिया सुधा जी. वैसे ये प्रसंग आधी हक़ीक़त है और आधा फ़साना है.
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