मंगलवार, 6 अप्रैल 2021

मूर्ख-दिवस की बधाई

 आजकल के बच्चों के पेट में मान्यवर की दाढ़ी से भी लम्बी दाढ़ी होती है.

पिछले छह दिनों से हमारी तीन वर्षीया नातिन इरा को 'अप्रैल फ़ूूल' बनाने का चस्का लगा हुआ है.
कभी वो अपने पापा को, तो कभी अपनी मम्मा को, तो कभी अपने भैया को अप्रैल फ़ूूल बना रही हैं. मूर्ख बनाने के बाद वो अपने शिकार को मूर्ख-दिवस की बधाई देना भी नहीं भूलतीं.
इसकी एक बानगी पेश है -
Ira - 'Look mummy ! there is a spider on your back.'
Mummy - 'O my God ! Where is it?'
Ira - 'Fooled you ! Fooled you !
Happy Foolantine Day Mummy !'

12 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (07-04-2021) को  "आओ कोरोना का टीका लगवाएँ"    (चर्चा अंक-4029)  पर भी होगी। 
    --   
    मित्रों! कुछ वर्षों से ब्लॉगों का संक्रमणकाल चल रहा है। परन्तु प्रसन्नता की बात यह है कि ब्लॉग अब भी लिखे जा रहे हैं और नये ब्लॉगों का सृजन भी हो रहा है।आप अन्य सामाजिक साइटों के अतिरिक्त दिल खोलकर दूसरों के ब्लॉगों पर भी अपनी टिप्पणी दीजिए। जिससे कि ब्लॉगों को जीवित रखा जा सके। चर्चा मंच का उद्देश्य उन ब्लॉगों को भी महत्व देना है जो टिप्पणियों के लिए तरसते रहते हैं क्योंकि उनका प्रसारण कहीं हो भी नहीं रहा है। ऐसे में चर्चा मंच विगत बारह वर्षों से अपने धर्म को निभा रहा है। 
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 
    --  

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  2. 'आओ कोरोना का टीका लगवाएं' (चर्चा अंक - 4029) में मेरी नातिन इरा की शरारत-गाथा को सम्मिलित करने लिए बहुत-बहुत धन्यवाद डॉक्टर रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' !

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  3. आपकी पीठ की मकडी का क्या हुआ ? :) :)

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    1. मित्र, सारी मकड़ियाँ तो अब कुर्सियों पर बैठी हुई हैं.

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  4. गोपेश भाई,बच्चों की ये छोटी छोटी शरारते ही तो जिंदगी को खुशनुमा बना देती है। बहुत सुंदर।

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    1. धन्यवाद ज्योति !
      काश कि हम बड़े भी बच्चों की तरह मासूम और नटखट ही रहते.

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  5. बहुत सुंदर हम प्यार से कहते हैं न बच्चे तो बंदर होते हैं हमेशा देखना सीखना नया कुछ करते रहना नटखट पन , सुखदाई है इरा को ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएं

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    1. शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद सुरेन्द्र शुक्ल भ्रमर जी.
      बच्चों के स्वभाव का आपने सटीक विश्लेषण किया है.

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  6. बच्चों की शरारतों का क्या ही कहना..कभी अपने भोलेपन से तो कभी समझदारी से घर-परिवार को मुस्कुराहटें बाँटते रहते हैं।

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    1. मीना जी, इरा तो मेरा अपना खून है, मुझे तो सभी बच्चे अपनी भोली-निश्छल शरारतों से हंसने-मुस्कुराने का कोई न कोई बहाना दे जाते हैं.

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  7. बाल मनोविज्ञान का सुंदर चित्रण

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