गुरुवार, 20 जनवरी 2022

चुनाव से पहले अपने क्षेत्र की जनता से नेताजी के दो मासूम से सवाल

 उम्रे दराज़ मांग के लाए थे चार दिन


दो तो ठगी में कट गए बाक़ी में क्या करें?

चोरी-डाके में मुनाफ़ा नाम का ही रह गया

क्यों न हम कूदें चुनावी जंग में पर्चा भरें?

20 टिप्‍पणियां:

  1. वाह ! बढ़िया खयाल है सर 👏👏
    हम उसी जगह के वोटर बन जाएंगे चार छः लोगों के साथ 😀😀

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    1. तारीफ़ के लिए और चुनाव में सहयोग की पेशकश के लिए शुक्रिया जिज्ञासा !
      वैसे चुनाव जीतने के लिए मतदाताओं के समर्थन से ज़्यादा भरोसा तो हमें हेरा-फेरी में है.

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  2. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (२१-०१ -२०२२ ) को
    'कैसे भेंट करूँ? '(चर्चा अंक-४३१६)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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    1. 'कैसे भेंट करूं?' (चर्चा अंक - 4316) में मेरी व्यंग्य-रचना को सम्मिलित करने के लिए धन्यवाद अनीता.

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  3. गोपेश भाई, नेता लोग चुनाव की जंग में तो ऐसे ही कूद जाते है। शुक्र है कोई तो नेता है जो जनता से मासूम सा सवाल पूछ रहा है।

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    1. ज्योति, नेता जी के मासूम से सवालों में कितनी मक्कारी छुपी है, इसका हिसाब लगाओगी तो उसे लगाने में बरसों बीत जाएंगे.

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  4. चुनाव में तो आजकल सबका ऐसा ही हाल है। बढिया कटाक्ष।

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    1. मित्र, चुनावी दांवपेच में हमारी ही पतंग हमेशा क्यों कटती है?

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  5. चुनावी दंगल पर आपका पोस्ट बहुत ही शानदार है

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    1. मेरी व्यंग्य-रचना की प्रशंसा के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद सवाई सिंह राजपुरोहित जी.

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    1. प्रशंसा के लिए धन्यवाद अनुराधा जी.
      कटाक्ष सुन्दर होने के स्थान पर अगर तीखा हो, धारदार हो, तो ज़्यादा प्रभावशाली हो सकता है.

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  7. जबरदस्त प्रहार आदरणीय।
    आपकी व्यंग्य शैली सीधे चोट करती है,पर बेचारे पर्चा भरने वालों ये पढ़ते ही नहीं । बस ठप्पा लगाने वाले पढ़कर भी कुछ कर नहीं पाते।
    शानदार।

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    1. कुसुम जी, हमारे देश के विकृत लोकतंत्र पर और भ्रष्ट नेताओं पर व्यंग्य-रचनाएँ नहीं, मर्सिये लिखे जाने चाहिए.

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  8. सही कहा नेतागिरी से ज्यादा मुनाफा और ठगी भला कहाँ मिलेगी...
    धारदार व्यंग।
    वाह!!!

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    1. प्रशंसा के लिए धन्यवाद सुधा जी !
      चुनावों में महाभारत तो हो रहा है किन्तु हर पक्ष से कौरव सेना ही लड़ रही है.
      जीते कोई भी पक्ष, जनता की तो हार ही है.

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    1. मेरी हाहाकारी व्यंग्य-रचना को सुन्दर बताने के लिए धन्यवाद आलोक सिन्हा जी.

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