सोमवार, 30 मई 2022

कहत कबीर

 कांकर-पाथर जोरि के मस्जिद लई बनाई

अब भक्तन की मांग पे इनकी होय खुदाई
हिन्दू मुस्लिम सिक्ख इसाई प्रीत न काहू भाई
आपस में लड़ि- लड़ि मर मूएँ यही रीत सुखदाई

14 टिप्‍पणियां:

  1. कबीर होता तो बहुत कूटा जाता

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    1. कबीर कूटे जाते और उनको कूटने वाले ऐश कूटते.

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    1. मेरे विचारों से सहमत होने के लिए धन्यवाद संगीता स्वरुप जी.

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    1. अनिता जी, हम कब तक वैमनस्य रूपी बबूल का पेड़ बो कर सद्भाव रूपी आम खाने की कामना करते रहेंगे?

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  4. आज के हिसाब से तो पहली पंक्ति को ऐसे [पढ़े तो -
    मंदिर तोड़ि-तोड़ि के मस्जिद लई बनाई

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    1. कविता जी, न तो मन्दिर तोड़ के जो मस्जिद बनाई गयी है, उसमें ख़ुदा रहा है और न ही मस्जिद तोड़ कर जो मन्दिर बनाया जाएगा, उसमें भगवान रहेगा.

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  5. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (31-5-22) को हे सर्वस्व सुखद वर दाता(चर्चा अंक 4447) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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    कामिनी सिन्हा

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  6. 'हे सर्वस्व सुखद वर दाता' (चर्चा अंक - 4447) में मेरी व्यंग्य-रचना को सम्मिलित करने लिए बहुत-बहुत धन्यवाद कामिनी जी.

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    1. जिज्ञासा, इस विषय पर विचार कर के तुम किस निष्कर्ष पर पहुँचीं?

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  8. कबीर दास की उलटी बानी, बरसे कंबल भीगे पानी

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    1. हम कबीर के चेले हैं और उनकी उलटबासियों के प्रशंसक हैं इसलिए उनकी बानी को उलटना-पलटना तो उनके प्रति श्रद्धा व्यक्त करना ही माना जाना चाहिए.

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