कांकर-पाथर जोरि के मस्जिद लई बनाई
कबीर होता तो बहुत कूटा जाता
कबीर कूटे जाते और उनको कूटने वाले ऐश कूटते.
सटीक
मेरे विचारों से सहमत होने के लिए धन्यवाद संगीता स्वरुप जी.
कटु सत्य
अनिता जी, हम कब तक वैमनस्य रूपी बबूल का पेड़ बो कर सद्भाव रूपी आम खाने की कामना करते रहेंगे?
आज के हिसाब से तो पहली पंक्ति को ऐसे [पढ़े तो - मंदिर तोड़ि-तोड़ि के मस्जिद लई बनाई
कविता जी, न तो मन्दिर तोड़ के जो मस्जिद बनाई गयी है, उसमें ख़ुदा रहा है और न ही मस्जिद तोड़ कर जो मन्दिर बनाया जाएगा, उसमें भगवान रहेगा.
सादर नमस्कार , आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (31-5-22) को हे सर्वस्व सुखद वर दाता(चर्चा अंक 4447) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी। ------------ कामिनी सिन्हा
'हे सर्वस्व सुखद वर दाता' (चर्चा अंक - 4447) में मेरी व्यंग्य-रचना को सम्मिलित करने लिए बहुत-बहुत धन्यवाद कामिनी जी.
विचारणीय रचना है आपकी ।
जिज्ञासा, इस विषय पर विचार कर के तुम किस निष्कर्ष पर पहुँचीं?
कबीर दास की उलटी बानी, बरसे कंबल भीगे पानी
हम कबीर के चेले हैं और उनकी उलटबासियों के प्रशंसक हैं इसलिए उनकी बानी को उलटना-पलटना तो उनके प्रति श्रद्धा व्यक्त करना ही माना जाना चाहिए.
कबीर होता तो बहुत कूटा जाता
जवाब देंहटाएंकबीर कूटे जाते और उनको कूटने वाले ऐश कूटते.
हटाएंसटीक
जवाब देंहटाएंमेरे विचारों से सहमत होने के लिए धन्यवाद संगीता स्वरुप जी.
हटाएंकटु सत्य
जवाब देंहटाएंअनिता जी, हम कब तक वैमनस्य रूपी बबूल का पेड़ बो कर सद्भाव रूपी आम खाने की कामना करते रहेंगे?
हटाएंआज के हिसाब से तो पहली पंक्ति को ऐसे [पढ़े तो -
जवाब देंहटाएंमंदिर तोड़ि-तोड़ि के मस्जिद लई बनाई
कविता जी, न तो मन्दिर तोड़ के जो मस्जिद बनाई गयी है, उसमें ख़ुदा रहा है और न ही मस्जिद तोड़ कर जो मन्दिर बनाया जाएगा, उसमें भगवान रहेगा.
हटाएंसादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (31-5-22) को हे सर्वस्व सुखद वर दाता(चर्चा अंक 4447) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा
'हे सर्वस्व सुखद वर दाता' (चर्चा अंक - 4447) में मेरी व्यंग्य-रचना को सम्मिलित करने लिए बहुत-बहुत धन्यवाद कामिनी जी.
जवाब देंहटाएंविचारणीय रचना है आपकी ।
जवाब देंहटाएंजिज्ञासा, इस विषय पर विचार कर के तुम किस निष्कर्ष पर पहुँचीं?
हटाएंकबीर दास की उलटी बानी, बरसे कंबल भीगे पानी
जवाब देंहटाएंहम कबीर के चेले हैं और उनकी उलटबासियों के प्रशंसक हैं इसलिए उनकी बानी को उलटना-पलटना तो उनके प्रति श्रद्धा व्यक्त करना ही माना जाना चाहिए.
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