सोमवार, 10 जनवरी 2022

पांच राज्यों में चुनाव की घोषणा

 

अंतरात्मा की पुकारें फिर से गूंजेंगी यहाँ

 

दल-बदल लीला रचाई जाएगी फिर से यहाँ

 

भौंक भाई को छुरा दुश्मन से लग जाओ गले

 

स्वर्ण-लंका फिर विभीषण हाथ आएगी यहाँ


14 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. मित्र, तुम्हारी जगह तुम्हारे पड़ौसी को टिकट दिलवा दिया है. अब तुम इसी बात पर संतोष कर लो.

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  2. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (११-०१ -२०२२ ) को
    'जात न पूछो लिखने वालों की'( चर्चा अंक -४३०६)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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    1. 'जात न पूछो लिखने वाले की' (चर्चा अंक - 4306) में मेरी व्यंग्य-रचना को सम्मिलित करने के लिए धन्यवाद अनीता.

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  3. उत्तर
    1. धन्यवाद मनीषा !
      वैसे लाजवाब क्या? विभीषण की पाला-बदली या फिर मेरे उद्गार?

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  4. विभिषण तो आप हमारे यहाँ भिजवा रहे थे, बाकी देश सुरक्षित हो जायेगा।
    सादर।

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    1. कुसुम जी, मैं तो पाला-बदलुओं को लंका का राज क्या, एक खोली भी दूं.
      वैसे आप निश्चिन्त रहिए. मजाक की बात थी, मैं आपको कोई विभीषण नहीं दूंगा.

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  5. चुनावी त्रासदी... सुंदर अभिव्यक्ति!

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    1. भट्ट जी, चुनाव के पहले विभीषण पधार चुके हैं. यह तो आगाज़ है, अंजाम तक तो वो सैकड़ा पार कर लेंगे.

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  6. वाह...चार लाइनों में सारा लब्‍बोलुआब कह दिया आपने

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    1. प्रशंसा के लिए धन्यवाद अलकनंदा जी !
      मैं मूलतः कवि नहीं हूँ इसलिए अपनी काव्यात्मक व्यंग्य-रचनाओं को आमतौर पर चार पंक्तियों में ही समेटने की कोशिश करता हूँ.

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  7. बहुत ही सार्थक और यथार्थपरक भी🙏🙏

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  8. नमस्‍कार जैसवाल जी, क्‍या गजब बात कही है कि आज – ‘मन चंगा’ वालों का नहीं, ‘मन नंगा’ वालों का ज़माना है...वाह

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