अपनी मुफ़लिसी पर रोने की बीमारी वालों ! हमारी तरह से नवाबों की ज़िन्दगी उसी तरह से गुज़ारो जैसे कि हमने अपने 31 साल के अल्मोड़ा-प्रवास में बिताई थी -
1. नशा : चायपान तक सीमित !
2. शाही भोजन : शाकाहार, वह भी श्रीमती जी के हुनरमंद हाथों से तैयार किया हुआ.
3. इक बंगला बने न्यारा : दो कमरों का किराए का महल .
4. सुखद यात्रा : कभी के० एम० ओ० यू० की खटारा बस की, तो कभी रोडवेज़ की सेमी खटारा बस की, तो कभी आरामदेह सेकंड स्लीपर में ट्रेन की, और लखनऊ में अपने घर जाकर, पुराने स्कूटर की या फिर टेम्पो की शाही सवारी.
5. ज़िम्मेदारियां : अधिकतर कुली और मेट की ज़िम्मेदारी खुद सम्हाल लेने की अक्लमंदी.
6. शॉपिंग : मेगा-सेल में खरीदे हुए डिस्काउंट वाले या क्लीयरेंस सेल वाले सामान को फ्रेश सामान के सामने तरजीह.
7. ट्रीट: रेस्तरां से ज़्यादा चाट के ठेलों को तवज्जो !
8. साज-सज्जा : शादी में सिलाए गए सूटों को अनंत काल तक ड्राईक्लीन करा के और ज़रुरत पड़ने पर उन्हें आल्टर करा के ठाठ से इस्तेमाल करना.
9. गाँधी-दर्शन : ख़ुद को, श्रीमतीजी को और बच्चों को सादगी की प्रतिमूर्ति बनाये रखने का आग्रह.
10. पर्यावरण संरक्षण : पहाड़ में घर के सभी सदस्यों को अलग-अलग 11 नंबर की प्रदूषण रहित बस मुहैया करना.
इन बातों को देखकर कोई भी मानेगा कि हम तो जी, नवाबों की तरह ऐश से रहे.
फिर भी हमको कभी किसी बात की कमी नहीं रही.
हाँ, चलते-चलते एक किस्सा याद आ गया -
चौराहे पर सिर्फ़ कच्छा पहने, चने फांकते हुए, एक सो-कॉल्ड नवाब साहब अपने मुरीदों से कह रहे थे -
'ख़ाकसार के तो बस दो ही शौक़ हैं – अच्छा खाना और अच्छा पहनना.'
जमीन से जुड़ी आदतें जीवन में बड़ा सुकून और स्थायित्व देती हैं पर हम आधुनिकता और दिखावे के आवरण में खुद को फांसे हुए, हामेशा बड़े आदमी बनाने के फिराक से मुंह नहीं मोड़ पाते ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी लगीं आपकी ये बातें ।
शुरूके जमीनी जीवन आज आपको आनंद और सुकून दोनो दे रखा है....
आप को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं और अभिवादन आदरणीय सर 👏👏💐💐
जिज्ञासा, हमारी नवाब की सी ज़िंदगी के नुस्खों में से अधिकतर तो मजबूरी में अपनाए गए थे, शौक़ से नहीं.
हटाएंखुश रहिये। क्या जमाना था।
जवाब देंहटाएंदोस्त, अपनी जवानी में और अधेड़ उम्र में वो ज़माना हमने झेल लिया था.
हटाएंअब इस महा-बुढ़ापे में वैसा शाही-नवाबी ज़माना देख कर ख़ुश होने की हमारी हिम्मत नहीं है.
साधे रहन सहन में ही जीवन का सच्चा सूख है।
जवाब देंहटाएंज्योति, तुम्हारी बात पर तुक मिलाते हुए मैं कहूँगा -
हटाएंतुम्हारी बात पर सहमत होने का मुझको बड़ा दुःख है.
जी इस नवाबी सुख में अपने हाथ जगन्नाथ वाली अनुभूति लाजवाब होती है 🙏💐
जवाब देंहटाएंरेणुबाला, पर्वतीय क्षेत्र के नैसर्गिक सौन्दर्य का आनंद तो हमने ख़ूब लिया लेकिन पहाड़ में पहाड़ का सा दुर्गम जीवन बिताना हमारे लिए तो आसान नहीं था. और हाँ, साड़ी पहनने वाली 11 नंबर की हमारी घरेलू बस तो ऊपर-नीचे चढ़ने-उतरने में हिचकोले खाते-खाते, काफ़ी आवाज़ें भी करती थी.
हटाएं